#पैतृक_संपत्ति में #बेटियों_का_अधिकार
#अरविंद_जैन
"ऊपरी तौर पर देखने से महिलाओं को बराबरी का कानूनी हक़ मिल गया है लेकिन अभी बहुत से नए अगर-मगर और आ खड़े हुए हैं। गंभीरता से देखना समझना पड़ेगा। अधिकार मिलने और संपत्ति मिलने में बहुत अंतर है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सही मानें तो 1956 से 2020 तक केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जो ज़मीन अधिग्रहण किया गया उसमें बेटियों का भी अधिकार था/है। सरकार भाइयों को मुआवजा दे चुकी है। अब बेटियों को उनका मुआवजा में अधिकार कैसे मिलेगा? कहना ना होगा कि1912 में अधिग्रहीत लुटियन जोन की ज़मीन के मुआवज़े के मामले तो अभी तक सुप्रीम कोर्ट/दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित हैं। इसी तरह जो पैतृक संपत्ति कई-कई बार बिक चुकी है और बिल्डर्स फ्लैट बना बेच चुके हैं, उसमें बेटियों को हिस्सा कब और कैसे मिलेगा? ऊँन संपत्तियों का क्या जिनमें बेटियां खुद अपना हिस्सा छोड़ने के शपथ पत्र दे चुकी हैं? ऐसी ही सैंकड़ो और स्थितियां हैं, जिसमें मामला पहले से अधिक उलझ गया है और सुलझने में कई दशक बीत जाएंगे।"
https://janchowk.com/beech-bahas/daughter-has-got-the-right-but-it-wil-take-time-to-land/
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